Thursday, October 23, 2014

चाचा भतीजा के छः संवाद

चाचा भतीजा संवाद :- “चाचा, बैठे-बैठे बकचोदी करते रहते हो। देखो देश में कितना काम हो रहा है। क्रिकेट का भला हो गया, हॉकी का भला हो गया, कबड्डी का भला हो गया, अब फुटबाल के दिन फिरनेवाला है।” चाचा ने भतीजे की बात सुनी और खैनी पच्चाक से थूकते हुए बोले – “हां, सरकार तो कद्दू उगाने के लिए बनती है। ई देश भी कॉरपोरेट के हाथ में बेच दो शायद देश का भी भला हो जाए।”

चाचा भतीजा संवाद (भाग दो) :- “चाचा, बकचोदी छोड़के कुछ काम धाम कर लेओ। सत्ता बदल गई। अच्छे दिन आनेवाले हैं।” भतीजे की बात सुनते ही चाचा ने एक लंबी पाद मारी और चेहरे पर राजकीय सुकून लाके बोला – “किसी ने कह दिया और तुम मान गए? सत्ता तो कई बार बदली और बदलेगी। जिस दिन सत्ता का चरित्र बदले उस दिन बात करना। अभी जाओ हमको पदवास लगी है।” यह कहके चाचा ने एक और पाद मारी और तीसरे पाद की तैयारी में जुटकर “फिल गुड” करने लगे।

चाचा भतीजा संवाद (भाग तीन) :- चुनाव परिणाम देखकर चाचा सूखे छुहारे सा मुंह बनाकर घूम रहे थे कि भतीजे ने टोक दिया – “क्या हुआ चाचा, चेहरा बबासीर के मरीज़ जैसा कहे हो गया है?” चाचा का मन किया कि गालियां दे देकर भतीजे का ‘राग-दरबारी’ कर दें लेकिन अपने को सँभालते हुए बोले – “देख नहीं रहे हो कौन पार्टी जीत रही है।” भतीजा चाचा स्टाइल में पान की पिचकारी मारते हुए बोला – “चाचा लोकतंत्र है। लोक जिसे चुने उसमें विश्वास रखिए। न त लोकतंत्र विरोधी करार दे दिए जाईयेगा। गुड़ भी खाइएगा और गुलगुला से परहेज़ भी कीजिएगा, ई नहीं चलेगा।” चाचा के कलेजे पर सांप लोटने लगा उन्हें “एकला चलो रे” गाने का मन किया लेकिन चाचा को बंग्ला भाषा आती ही नहीं थी इसलिए अग्निपथ --- अग्निपथ गाते हुए खुद को अमिताभ बच्चन समझने लगे।

चाचा भतीजा संवाद (भाग चार) :- “चाचा दुनियां पूरब जाती है तो आप पश्चिम काहे जाते हैं?” भतीजे के इस संवाद पर चाचा कृष्ण की तरह मुस्कुराते हुए बोले –“बेटा आज के युग में हर बात का विरोध करना ही प्रगतिशीलता और बुद्धिजीवी होने का प्रमाण पत्र है।” भतीजे ने आगे पूछा –“और विचारधारा के बारे में आपका क्या ख्याल है चाचा?” चाचा पाकिट से खैनी का चुनौटी निकालते हुए बोले – “देखो, विचाधारा की हालत आजकल धोबी के कुत्ते वाली हो गई है, जो न घर का है न घाट का। हम तो विचारधारा का पिटारा साथ रखतें हैं। समय, काल और परिवेश के हिसाब से सबका इस्तेमाल करते रहते हैं।” यह कहकर चाचा देवत्व भाव से खैनी मलने लगे और भतीजा चाचा के सिर के पीछे गौर से देखने लगा कि कहीं कोई दिव्य रोशनी तो नहीं निकल रही है। 

चाचा भतीजा संवाद (भाग पांच) :- “चाचा, ई चुनाव पांच साल में ही कहे होता है?” भतीजे ने आज ऐसा सवाल कर दिया कि चाचा चकरा गए और चकराते हुए बोले – “पता नहीं, ई सवाल उस चम्पक से पूछो जिसने यह विधान बनाया था।” चाचा के पेट में गुदगुदी होने लगी और वो तेज़ी से लोटा लेकर खेत की तरफ़ चल दिए।

चाचा भतीजा संवाद (भाग छः) :- “चाचा यह लभ जेहाद क्या है?” भतीजे के यह पूछने पर चाचा ने सड़े टमाटर जैसे मुंह बनाया और बोले – “अबे ई सब बात पर ध्यान मत दो। जो लभ नहीं कर पाते वो जेहाद की बात करते ही हैं। साला लभ न हुआ बियाह-शादी हो गया, अब ई सब भी आदमी जाति-बिरादरी पूछकर करेगा?”

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